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Shloka: | कथं न ज्ञेयमस्माभिः पापादस्मान्निवर्तितुम्। कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन॥ |
Bhagavad Gita Reference: | 1.39 |
Mahabharata Reference: | 6023039 |
Hindi Trnaslation: | वस्तुत: हे जनार्दन ! कुल के विनाशक इस दोष से भली-भाँति अवगत हम लोगों को इस पाप से मुक्ति (बचने) का मार्ग क्यों नहीं ढूँढना चाहिये ? ॥३९॥ |
Sandhi-split Shloka: | जनार्दन कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिः अस्माभिः अस्मात् पापात् निवर्तितुम् ज्ञेयम् कथम् न। |
Anvayakrama: | जनार्दन कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिः अस्माभिः अस्मात् पापात् निवर्तितुम् ज्ञेयम् कथम् न॥ |
Bhagavad Gita Tagged Shloka: | कथं/AP न/AN ज्ञेयम्/KN अस्माभिः/SN पापात्/NP अस्मान्/SN निवर्तितुम्/KKS कुलक्षयकृतं/NV दोषं/NP प्रपश्यद्भिः/KNV जनार्दन/NS ॥/PUNC 1.39/PUNC ॥/PUNC Tagging scheme used |